ट्रेन का सफर तो हर किसी ने किया होगा।कभी दोस्तों के साथ, कभी फॅमिली के साथ, तो कभी अकेले। ट्रैन के सफर में हम लोग नए दोस्त भी बनाते है और सफर की बोरियत को दूर करने के लिए कभी खिड़की के बहार झाकते है या ट्रैन के गेट पर खड़े हो कर भी बहार का आनंद लेते है। अब तो भारतीय रेलवे की यात्रा और भी सुखद हो गई है, क्योकि अब हम ट्रेन में ऑनलाइन खाना मंगवा सकते है। लेकिन ट्रेन में कई बार सफर करने क बबाद भी कुछ चीजे ऐसी है जिनके बारे में शायद ही आपको या किसी को भी पता हो। तो चलिए, आज हम आपको ऐसी ही ट्रैन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएँगे।
पहला: ट्रैन के आखरी कोच में “X” का निशान
हर ट्रैन के आखरी कोच में हमने एक X का निशान देखा है। अक्सर हमारे मन में एक सवाल उठता होगा के ये निशान आखरी बोगी में ही क्यों होता है? इसके पीछे कई कारन है। ये निशान ट्रेन के आखरी बोगी को दर्शाता है। अगर किसी ट्रैन में ये निशान न हो तो इसका मतलब है, या तो वो ट्रेन किसी मुसीबत में हैं या फिर अपने पुरे वैगंस के साथ नै चल रही है। इससे रेलवे अधिकारी अलर्ट हो कर किसी भी होने वाली दुर्घटना को रोक सकते है।
दूसरा: अल अच् बी कोच
अभी कुछ दिनों पहले आपने सुना होगा के भारतीय रेलवे ने अपने सभी आई सी अफ कोचेस को रेप्लस कर अल अच् बी कोचेस लगाएगी। अब ये अल अच् बी और आई सी अफ कोचेस क्या है? यू समझ लीजिये के वर्तमान में कुछ चुनिंदा ट्रेनों, जैसे की राजधानी, शताब्दी, जो अब वनडे भारत एक्सप्रेस के नम्म से जनि जाएगी, इत्यादि को छोड़ कर बाकि सभी में आई सी अफ कोचेस लगी है। अल अच् बी कोचेस जो की वजन में हलकी होती है और ट्रेन के चलने पर डब्बे के अंदर आवाज़ काफी काम होती है और एंटी क्लाइम्बिंग फीचर होने के वजह से एक्सीडेंट होने पर भी ये अल अच् बी कोचेस पलटती नहीं है।
तीसरा:नागपुर का डायमंड क्रासिंग
वाह क्या नाम है डायमंड क्रासिंग। ये नाम रेलवे ट्रैक्स पर लगी हुई किसी डायमंड की वजह से नहीं , बल्कि नागपुर रेलवे ट्रैक पर बनने वाली बर्फी नुमा आकृति की वजह से है। डायमंड क्रासिंग वह रेलवे क्रासिंग पॉइंट है जहा अलग दो दिशाओं में जाने वाली रेलवे लाइन्स एक दूसरे को काटते हुए एक डायमंड का शेप बनती है। नागपुर का डबल डायमंड रेलवे क्रासिंग बहुत मसहूर है। ये भारत ही नहीं, ये विश्व का एकलौता डायमंड क्रासिंग है जहा दो अलग रेलवे ट्रैक्स दूसरे रेलवे ट्रैक्स को क्रॉस करते हुए आगे बढ़ती है।
चौथा:मेल ट्रैन और एक्सप्रेस ट्रैन का फर्क
अब ट्रैन का भी लिंग निर्धारण होने लगा। नहीं। यही तो हम बताना चाहते है हमे से कई लोग मेल ट्रैन और एक्सोरस ट्रैन का फर्क नै जानते। दरअसल वैसी ट्रेन जिनमे एक विशेष कोच होता है जिसका इस्तमाल सिर्फ पोस्ट और आपकी चिट्ठियों और पत्रों के परिवहन के लिए ही होता है, इस वजह से उसे मेल ट्रेन कहते है।
पांच:वासीट होने पर भी मनचाहा बर्थ न मिलना
कभी कभी सीट्स होते हुए भी हमें रिजर्वेशन क बाद अपना मनचाह बर्थ नहीं मिलता। वह इसलिए क्योकि टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर सबसे पहले लोअर बर्थ की बुकिंग करता है और फिर मिडिल और अपर बर्थ की। अगर ऐसा न हो तो तो रेल कोचेस पर सेन्ट्रीफ्यूगल फाॅर्स बराबर मात्रा में काम नहीं करेगा जिससे ब्रॉक लगाने पर ट्रेन के डीरेल होने और एक्सीडेंट होने के चान्सेस बढ़ जाते है।
छठा: ११ तरह के हॉर्न्स
क्या आपको पता है के ट्रेन में कुल मिला कर ११ तरह के हॉर्न्स बजाये जाते है और हर हॉर्न में एक छुपा हुआ सन्देश होता है। इसमें दो प्रमुख हॉर्न्स होते है, एक छोटा हॉर्न और एक बड़ा (यानि लम्बे समय तक बजने वाला) हॉर्न है। बाकि सारे हॉर्न्स इनको मिला कर बनाये गए है जैसे ट्रेन का लम्बा हॉर्न होना, दो लम्बे और दो छोटे हॉर्न्स। सुर्प्रिसिंग ना!
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यह थे भारतीय रेलवे के कुछ रोचक तथ्य जो हमने हमेशा देखा है,लेकिन कभी गौर नहीं किया होगा।